Saturday, April 30, 2011

तेरी खु़शबू मैं बसे ख़त

तेरी खु़शबू मैं बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार मैं डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रख़ा
जिनको एक उम्र कलेजे से लगाये रख़ा
दीन जिनको जिन्हें इमान बनाये रखा
तेरे खुशबू मैं बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार मैं डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे

जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद है पानी की तरह
याद थे मुझको जो पैग़ाम-ए-जुबानी की तरह
मुझको प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह
तेरे खुशबू मैं बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार मैं डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे

तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखी
साल हा साल मेरे नाम बराबर लिखी
कभी दिन मैं तो कभी रात को उठकर लिखी
तेरे खुशबू मैं बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार मैं डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे ख़त आज मैं गंगा मैं बहा आया हूँ
आग बहते हुए पानी मैं लगा आया हूँ

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