Thursday, June 9, 2011

सौ ग्राम ज़िन्दगी

थोड़ी सी मीठी है ज़रा  सी  मिरची है
सौ ग्राम ज़िन्दगी यह संभाल के खर्ची है
असली है झूटी है  खालिश है, फर्जी है
देर तक उबाली है कप में डाली है
कडवी है नसीब सी ये coffee गाढ़ी गाढ़ी है
चमच्च भर चीनी हो इतनी सी मर्ज़ी है
सौ ग्राम ज़िन्दगी यह संभाल के खर्ची है
खरी है खोटी है रोने को छोटी है
धागे से खुशियों को सीलती है, दर्जी  है
सौ ग्राम ज़िन्दगी यह संभाल के खर्ची है

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