Friday, July 18, 2008

ज़िंदगी क्या है जानने के लिये

ज़िंदगी क्या है जानने के लिये
ज़िंदा रहना बहुत जरुरी है
आज तक कोई भी रहा तो नही

सारी वादी उदास बैठी है
मौसमे गुल ने खुदकशी कर ली
किसने बरुद बोया बागो मे

आओ हम सब पहन ले आइने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा
सारे हसीन लगेंगे यहाँ

है नही जो दिखाई देता है
आइने पर छपा हुआ चेहरा
तर्जुमा आइने का ठीक नही

हम को गलिब ने येह दुआ दी थी
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
ये बरस तो फकत दिनो मे गया

लब तेरे मीर ने भी देखे है
पखुड़ी एक गुलाब की सी है
बात सुनते तो गलिब रो जाते

ऐसे बिखरे है रात दिन जैसे
मोतियो वाला हार टूट गया
तुमने मुझको पिरो के रखा था

1 comment:

  1. vo bhii kyaa log the aasaan thii raahe.n jin kii
    band aa.Nkhe.n kiye ik simt chale jaate the
    aql-o-dil Khvaab-o-haqiiqat kii na uljhan na Khalish
    muKhtalif jalve nigaaho.n ko na bahalaate the

    [Khalish=pain/prick; muKhtalif=different types]

    ishq saadaa bhii thaa beKhud bhii junuu.N_peshaa bhii
    husn ko apanii adaao.n pe hijaab aataa thaa
    phuul khilate the to phuulo.n me.n nashaa hotaa thaa
    raat Dhalatii thii to shiisho.n pe shabaab aataa thaa

    [hijaab=coyness]

    ReplyDelete